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Reading: विवादित बयान के बाद वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल(Premchand Aggarwal) का इस्तीफा: उत्तराखंड की राजनीति में हलचल
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Premchand Agarwal
उत्तराखंड

विवादित बयान के बाद वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल(Premchand Aggarwal) का इस्तीफा: उत्तराखंड की राजनीति में हलचल

Admin
Last updated: मार्च 17, 2025 5:39 पूर्वाह्न
Admin
Published मार्च 17, 2025
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उत्तराखंड की राजनीति में उस समय बड़ा उथल-पुथल मच गया जब राज्य के वित्त और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल(Premchand Aggarwal) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान दिए गए एक विवादित बयान के कारण उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने यह निर्णय लिया।

Contents
क्या था विवादित बयान?इस्तीफे से पहले भावुक हुए प्रेमचंद अग्रवाल(Premchand Aggarwal)राज्यव्यापी विरोध और राजनीतिक दबावसदन में बढ़ा तनावप्रेमचंद अग्रवाल की सफाईसरकार पर बढ़ा दबाव, इस्तीफा अपरिहार्यराजनीतिक भविष्य और संभावित प्रभावनिष्कर्ष

क्या था विवादित बयान?

फरवरी को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्षी विधायकों के साथ तीखी बहस के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल ने कथित तौर पर कहा था, “क्या यह राज्य पहाड़ियों के लिए बनाया गया है?”

इस टिप्पणी के बाद पूरे उत्तराखंड में राजनीतिक भूचाल आ गया। विपक्षी दलों और विभिन्न संगठनों ने इस बयान को राज्य के मूल निवासियों का अपमान बताया और मंत्री के इस्तीफे की मांग की।

इस्तीफे से पहले भावुक हुए प्रेमचंद अग्रवाल(Premchand Aggarwal)

लगातार हो रहे विरोध और पार्टी पर बढ़ते दबाव के चलते रविवार शाम को प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने सरकारी आवास पर आनन-फानन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इस दौरान उन्होंने भावुक होते हुए कहा:

“1994 से उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलन कर रहा हूं, मुझ पर NSA तक लगाने की कोशिश हुई थी। मैंने हमेशा उत्तराखंड के लिए संघर्ष किया। लेकिन जिस तरह से मेरे खिलाफ माहौल बनाया गया, उससे मैं आहत हूं। ऐसे में मुझे इस्तीफा देना पड़ रहा है।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।

राज्यव्यापी विरोध और राजनीतिक दबाव

प्रेमचंद अग्रवाल के बयान के बाद उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में भारी विरोध प्रदर्शन हुए।

  • गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक पुतला दहन और नारेबाजी हुई।
  • विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने सड़क पर उतरकर उनके इस्तीफे की मांग की।
  • लोकप्रिय गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने होली पर ‘मत मारो प्रेम लाल पिचकारी’ गाना रिलीज किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
  • बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व ने प्रेमचंद अग्रवाल को तलब कर सख्त हिदायत दी कि वे अपने बयानों में संयम बरतें।

सदन में बढ़ा तनाव

बजट सत्र के पहले दिन सदन में विपक्षी विधायकों ने राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया था। इसी दौरान द्वाराहाट के विधायक बिष्ट और मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच तीखी नोकझोंक हो गई।

सदन में चल रहे हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा:

“हम उत्तराखंड के लोग हैं, हमें ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए। यह लोकतंत्र के मंदिर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।”

प्रेमचंद अग्रवाल की सफाई

Premchand Agarwal

प्रेमचंद अग्रवाल ने खुद को उत्तराखंड आंदोलनकारी बताते हुए यह भी कहा कि:

“राज्य निर्माण के लिए मैंने संघर्ष किया, लाठियां खाईं, जेल गया। लेकिन जिस तरह मुझे टारगेट किया गया, वह गलत है। विपक्ष ने इस बयान को बेवजह तूल दिया।”

सरकार पर बढ़ा दबाव, इस्तीफा अपरिहार्य

बीजेपी सरकार के लिए यह मुद्दा असहज स्थिति पैदा कर रहा था। पार्टी नेतृत्व ने महसूस किया कि यदि इस्तीफा नहीं लिया गया तो राज्य में भाजपा विरोधी माहौल बन सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर भी दबाव बढ़ रहा था, और अंततः अग्रवाल को इस्तीफा देना पड़ा।

राजनीतिक भविष्य और संभावित प्रभाव

  • बीजेपी को नुकसान? – प्रेमचंद अग्रवाल को हटाने के बावजूद बीजेपी के लिए यह मामला राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकता है।
  • विपक्ष की मजबूती? – कांग्रेस और अन्य दल इस मुद्दे को आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बना सकते हैं।
  • भाजपा का आंतरिक संकट? – अग्रवाल के समर्थकों के असंतोष से पार्टी में आंतरिक दरारें पड़ सकती हैं।

निष्कर्ष

प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ी घटना है। यह केवल एक विवादित बयान का परिणाम नहीं, बल्कि राज्य की स्थानीय पहचान और राजनीतिक समीकरणों से जुड़ा विषय है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रकरण आगामी चुनावों में क्या असर डालता है और बीजेपी इस स्थिति से कैसे उबरती है।

(यह लेख विभिन्न ऑनलाइन स्रोतों और समाचार लेखों पर आधारित है।)

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