देहरादून/नैनीताल: उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय Uttarakhand Panchayat Elections 2025 पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ी कार्यवाही करते हुए रोक लगा दी है। यह फैसला आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के चलते आया है, जिससे धामी सरकार को बड़ा झटका लगा है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह निर्णय बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा 9 जून 2025 को जारी की गई नई नियमावली और 11 जून को आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर नया रोटेशन लागू करना संविधान और पूर्व कोर्ट आदेशों के खिलाफ है।
चुनाव आयोग की अधिसूचना पर लगी रोक:
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा Uttarakhand Panchayat Elections 2025 के लिए पहले ही अधिसूचना जारी कर दी गई थी। मतदान की तारीखें 10 और 15 जुलाई को दो चरणों में तय की गई थीं, जबकि मतगणना 19 जुलाई को होनी थी। नामांकन प्रक्रिया 25 जून से शुरू होनी थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के चलते अब पूरी चुनावी प्रक्रिया ठप हो गई है।
क्या है विवाद का कारण?
हाईकोर्ट ने पाया कि सरकार द्वारा लागू की गई आरक्षण रोटेशन प्रणाली नियमों के अनुरूप नहीं है। याचिकाओं में कहा गया कि कुछ सीटें लगातार चौथी बार आरक्षित कर दी गई हैं, जिससे कई उम्मीदवार चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जब तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक कोई भी चुनावी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “यह सरकार की नीयत को उजागर करता है। हमारी आशंकाएं सही साबित हुई हैं।” वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, “हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और सरकार की मंशा पंचायत चुनाव कराने की ही है।”
अब आगे क्या?
कोर्ट ने सरकार से इस पूरे मामले में विस्तृत जवाब मांगा है। जब तक आरक्षण रोटेशन पर स्पष्टता नहीं आती, Uttarakhand Panchayat Elections 2025 नहीं कराए जा सकेंगे। इससे न सिर्फ राजनीतिक गतिविधियों पर असर पड़ा है, बल्कि प्रशासनिक तैयारियों पर भी पानी फिर गया है।