देहरादून, 16 जुलाई 2025 – उत्तराखंड आज अपने सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक-पारिस्थितिक त्योहार Harela Festival को भव्य तरीके से मना रहा है। इस वर्ष राज्य सरकार ने 10 लाख पौधरोपण के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ इस पर्व को और विशेष बना दिया है।

हरेला फेस्टिवल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
Harela Festival कुमाऊंनी संस्कृति में श्रावण मास के प्रथम दिन मनाया जाता है। इसका संबंध भगवान शिव और माता पार्वती के पौराणिक विवाह से है। परंपरागत रूप से, इस दिन:
- घरों में गेहूं, जौ, मक्का, उड़द और तिल के मिश्रण (नवधान्य) को बोया जाता है
- 10 दिनों में उगे हरे अंकुरों (हरेला) को देवतुल्य माना जाता है
- इन्हें काटकर परिवारजनों के सिर पर रखा जाता है जो आशीर्वाद का प्रतीक है
रिकॉर्ड तोड़ पौधरोपण अभियान
इस वर्ष Harela Festival पर राज्य सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं:
- “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान: प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर 5 लाख से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं
- मियावाकी पद्धति: देहरादून में 60,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में जापानी तकनीक से पौधरोपण
- स्कूल मिशन: 50,000 स्कूली बच्चों द्वारा पौधरोपण कार्यक्रम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने Harela Festival पर एक विशेष संदेश में कहा:
“हरेला हमारी संस्कृति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। इस बार हमने 10 लाख पौधरोपण का लक्ष्य रखा है। मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से प्रेरित होकर सभी उत्तराखंडवासियों से अपील करता हूं कि वे इस पावन पर्व पर कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा:
“हरेला पर्व प्रकृति और संस्कृति के अद्भुत मेल का प्रतीक है। उत्तराखंड के लोगों के इस प्रयास की सराहना करता हूं जो पर्यावरण संरक्षण को लेकर इतने समर्पित हैं। आइए, हम सभी ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़ें और धरती माँ को हरा-भरा बनाएं।”
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुष विभाग ने Harela Festival को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं:
- हरेला के अंकुरों में क्लोरोफिल, एंजाइम्स और सूक्ष्म खनिज पाए जाते हैं
- इन्हें सुखाकर बनाया गया पाउडर आयुर्वेदिक टॉनिक का काम करता है
- इस मौसम में मंडुवे की रोटी, गहत की दाल और लस्सी जैसे सुपाच्य आहार की सलाह
सांस्कृतिक उत्सव
सम्पूर्ण उत्तराखंड में Harela Festival के उपलक्ष्य में:
- अल्मोड़ा और नैनीताल में हरेला मेले का आयोजन
- गेड़ी (बांस के स्टिल्ट) दौड़ प्रतियोगिताएं
- लोक नृत्य और गीतों की प्रस्तुतियाँ
- सरकारी संस्थानों और बैंकों में अवकाश
जलवायु परिवर्तन से जुड़ाव
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि Harela Festival अब केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं रहा। पिछले 5 वर्षों में:
- 25 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं
- वन आच्छादन में 2% की वृद्धि दर्ज की गई है
- 2025 के लक्ष्य को पूरा करने पर उत्तराखंड “ग्रीन स्टेट” बनने की दिशा में अग्रसर होगा
Harela Festival 2025 न केवल परंपराओं का संरक्षण कर रहा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह त्योहार अब एक वैश्विक पर्यावरण आंदोलन का रूप ले चुका है।