घने कोहरे और खराब मौसम के बीच ‘Chardham Yatra’ मार्ग पर पांचवीं घटना
‘Chardham Yatra’ के दौरान उत्तराखंड की पहाड़ियों में हेलीकॉप्टर सेवाओं से जुड़े हादसों ने फिर से चिंता बढ़ा दी है। रविवार, 15 जून की सुबह केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहे एक हेलीकॉप्टर का मलबा गौरीकुंड के पास लगभग 9,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित जंगल में मिला, जिसमें सवार सात लोगों की दर्दनाक मौत हुई।

प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, हेलीकॉप्टर ने सुबह 5:21 बजे केदारनाथ से उड़ान भरी और 5:24 बजे वैली पॉइंट के पास आखिरी बार देखा गया। घने कोहरे के कारण दृश्यता लगभग न के बराबर थी। जब यह गुप्तकाशी नहीं पहुँचा, तो सुबह 6:13 बजे आपातकालीन बचाव अभियान शुरू किया गया।
इस हादसे में पायलट राजवीर सिंह चौहान (35), महाराष्ट्र के राजकुमार सुरेश जायसवाल (41), उनकी पत्नी श्रद्धा (35) और बेटी काशी (2), उत्तर प्रदेश की विनोद देवी (66) व नातिन तुष्टि सिंह (19), तथा मंदिर समिति के सदस्य विक्रम सिंह रावत (46) की मौत हुई। मासूम काशी इस दुखद श्रृंखला में एक और त्रासदी बनकर उभरी।
पिछले छह सप्ताह में ‘Chardham Yatra’ मार्ग पर रिपोर्ट हुई घटनाएं:
- 8 मई: उत्तरकाशी के गंगनानी में हेलीकॉप्टर क्रैश, 5 की मौत।
- 12 मई: बद्रीनाथ हेलीपैड पर लैंडिंग के दौरान ब्लेड का वाहन से टकराव, बड़ा हादसा टला।
- 17 मई: एआईएमएस ऋषिकेश का चिकित्सा हेलीकॉप्टर क्रैश-लैंड, तीनों सवार सुरक्षित।
- 7 जून: टेक-ऑफ के दौरान तकनीकी खराबी से रुद्रप्रयाग में आपात लैंडिंग, पायलट सुरक्षित।
- 15 जून: केदारनाथ से लौटते समय हेलीकॉप्टर का क्रैश, 7 श्रद्धालुओं की मौत।
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘Chardham Yatra’ मार्ग पर मौसम को दोष देने से काम नहीं चलेगा। वाणिज्यिक दबावों के कारण ऑपरेटर कभी-कभी जोखिम भरे हालात में भी उड़ानें संचालित कर देते हैं। पिछले वर्ष के दौरान केदारनाथ मार्ग पर 22,804 उड़ानों में केवल एक आपात लैंडिंग हुई, जबकि इस वर्ष अब तक 8,786 उड़ानों में पांच गंभीर घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने ‘Chardham Yatra’ के तहत हेलीकॉप्टर सेवाओं की निगरानी मजबूत करते हुए लाइव मॉनिटरिंग और आकस्मिक निरीक्षण शुरू कर दिए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी चारधाम सेवाओं को सोमवार तक स्थगित कर उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने का आदेश दिया है। उन्होंने सख्त तकनीकी जांच और सुरक्षित संचालन मानकों को लागू करने पर जोर दिया।
पीड़ित परिवारों को उदासी ने घेर लिया है। पायलट चौहान के पिता का कहना है, “14 साल बाद बेटे के घर जुड़वाँ बच्चों का आगमन हुआ था, जो अब उनके बिना रह गए।”
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